प्रसिद्ध नौटंकी कलाकार रंपत सिंह भदौरिया का निधन, पांच दशक का रंगमंच सफर हुआ समाप्त
नौटंकी की दुनिया के एक चमकते सितारे, रंपत सिंह भदौरिया का 7 मई 2024 को कानपुर में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज कानपुर के ही एक अस्पताल में चल रहा था। रंपत सिंह भदौरिया ने पांच दशक से अधिक समय तक नौटंकी के रंगमंच पर अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा और देश-विदेशों में दर्शकों को हंसाते-रुलाते रहे।
रंपत सिंह भदौरिया का जन्म कानपुर में ही हुआ था। बचपन से ही उन्हें कलाओं, खासकर नौटंकी में गहरी रुचि थी। उन्होंने कम उम्र में ही नौटंकी की दुनिया में प्रवेश कर लिया और अपनी शानदार अभिनय प्रतिभा से दर्शकों का मन मोहना शुरू कर दिया। रंपत सिंह भदौरिया ने कई लोकप्रिय नौटंकी नाटकों में काम किया, जिनमें "भक्त प्रह्लाद", "दुल्हनिया ले जाने वाले", "सावित्री-सत्यवान" और "बिल्वमंगल" शामिल हैं।
रंपत सिंह भदौरिया की कला केवल भारत तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने कई देशों में भी अपनी नौटंकी प्रस्तुतियों का प्रदर्शन किया और दर्शकों का मनोरंजन किया। उनकी कला को देखने के लिए विदेशों से भी लोग कानपुर आते थे। रंपत सिंह भदौरिया को उनकी उत्कृष्ट कला और योगदान के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
रंपत सिंह भदौरिया सिर्फ एक कलाकार ही नहीं थे, बल्कि नौटंकी कला के प्रति समर्पित व्यक्ति भी थे। उन्होंने नौटंकी को न केवल जीवित रखने का काम किया, बल्कि इसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का भी प्रयास किया। उन्होंने कई नौटंकी कलाकारों को प्रशिक्षित किया और उन्हें इस विद्या में महारत हासिल करने में मदद की।
रंपत सिंह भदौरिया के निधन से नौटंकी कला जगत में शोक की लहर है। कलाकारों, दर्शकों और उनके प्रशंसकों ने उनके निधन पर दुख जताया है। रंपत सिंह भदौरिया का जाना नौटंकी कला के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
रंपत सिंह भदौरिया ने नौटंकी कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।