कृष्णा श्रॉफ का 'छोरियाँ चली गाँव' रीयूनियन: जब सिस्टरहुड शो से आगे निकल जाए

कृष्णा श्रॉफ का छोरियाँ चली गाँव रीयूनियन: जब सिस्टरहुड शो से आगे निकल जाए
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कृष्णा श्रॉफ हमेशा से अपनी सच्चे व्यक्तित्व और वास्तविकता के लिए जानी जाती हैं, और उनकी हालिया "छोरियाँ चली गाँव" टीम से हुई मुलाकात इस बात का सबूत है कि शो में बने उनके रिश्ते किसी भी तरह से बनावटी नहीं थे। फिटनेस एंटरप्रेन्योर और स्टाइल आइकन कृष्णा श्रॉफ को हाल ही में अपनी साथी छोरियों – एरिका पैकर्ड, अंजुम फकीह और रमीत संधू – के साथ समय बिताते हुए देखा गया। इस मुलाकात में वही ऊर्जा थी जो उन महिलाओं के समूह में दिखती है जिन्होंने एक गहन अनुभव साथ जिया हो और सच्चे दोस्त बनकर उभरी हों। तस्वीरों में उनकी खुशी, हंसी और वह सहज अपनापन साफ झलकता है, जो केवल सच्चे रिश्तों में दिखाई देता है।


कृष्णा के लिए, जो हमेशा अपने करीबी सर्कल में लोगों को सोच-समझकर शामिल करती हैं, यह रीयूनियन सिर्फ पुरानी यादों को ताज़ा करने के लिए नहीं था — यह सिस्टरहुड का जश्न था, एक ऐसा रिश्ता जो कैमरे और प्रतियोगिता से आगे जाकर और भी मजबूत हुआ है।


कृष्णा के लिए, "छोरियाँ चली गाँव" सिर्फ़ रोमांच या चुनौतियों के शो के बारे में नहीं था, बल्कि उन रिश्तों के बारे में भी था जो उन्होंने बनाए, उन महिलाओं के बारे में जिनसे वह इस दौरान मिली। एक साथ रहना, मुश्किलों का सामना करना और रियलिटी शो के जटिल माहौल को संभालना जो आसानी से प्रतिस्पर्धा और तनाव पैदा कर सकता था, लेकिन कृष्णा ने इसमें अपनी "ट्राइब" पा ली। यह शो उन दोस्ती का माध्यम बन गया जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं।


एरिका, अंजुम, रमीत और कृष्णा बिल्कुल अलग माहौल से आई हो, फिर भी उन्होंने अपनी ताकत, अपने हास्य और किसी के लिए भी अपने व्यक्तित्व को कम न करने के अपने अंदाज़ में एक समान जुड़ाव पाया। ये वो महिलाएं हैं जो एक-दूसरे को ऊपर उठाती हैं, एक-दूसरे की जीत का जश्न मनाती हैं, और ज़रूरत पड़ने पर साथ खड़ी रहती हैं, ठीक उसी तरह की सिस्टरहुड को कृष्णा सबसे अधिक महत्व देती हैं। रमीत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "हमने सिर्फ़ शो में टिके रहने का ही काम नहीं किया, बल्कि कुछ ऐसा बनाया जो अटूट है 💪🏼👯‍♀️🫶🏽🌪️🤍 #chhoriyanchaligaon"


शो खत्म होने के बाद भी कृष्णा ने इन रिश्तों को बनाए रखा है, और यह रीयूनियन इस बात का प्रमाण है कि कुछ बंधन सच में जीवन भर के लिए होते हैं। एक ऐसे इंडस्ट्री में जहाँ दोस्ती क्षणभंगुर और लेन-देन (औपचारिक) वाली होती है, कृष्णा का "छोरियाँ चली गाँव" से बनी फ्रेंडशिप को सहेज कर रखना उनके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहता है।


वह न केवल एक रियलिटी शो के अनुभव को याद करती है, बल्कि इन महिलाओं को अपने जीवन में रखने का सक्रिय रूप से चुनाव करती है क्योंकि वे उसके लिए मायने रखती हैं। चाहे वह देर रात तक मिलना-जुलना हो, महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जश्न मनाना हो, या बस इस रीयूनियन की तरह बस यूँ ही साथ समय बिताना — कृष्णा ने दिखाया है कि बामुलिया गाँव में बनी सिस्टरहुड का रिश्ता वास्तविक, सार्थक और स्थायी था।


कृष्णा श्रॉफ के लिए यह सिर्फ एक स्क्वाड नहीं… बल्कि वह परिवार है जिसे उन्होंने खुद चुना है — और यही बात इसे ख़ास बनाती है।

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