कृष्णा श्रॉफ ने चीट मील्स को कहा अलविदा: 'यह मुझे मेरी प्रगति को कुछ कदम पीछे ले जाता है'

कृष्णा श्रॉफ ने चीट मील्स को कहा अलविदा: यह मुझे मेरी प्रगति को कुछ कदम पीछे ले जाता है
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फिटनेस की दुनिया लंबे समय से चीट मील्स की अवधारणा को लेकर मतभेद बना हुआ है। और फिटनेस आइकन और एंटरप्रेन्योर कृष्णा श्रॉफ ने अपनी स्पष्ट राय रख दी है। जहां कई फिटनेस प्रेमी साप्ताहिक चीट मील्स को मानसिक रीसेट का ज़रिया मानते हैं और इसे अपनाने की सलाह देते हैं, वहीं कृष्णा का इस विचार के प्रति नजरिया बिल्कुल अलग है और यह पारंपरिक सोच को चुनौती देता है। उन्होंने पारंपरिक चीट मील नियमों से हटकर इंट्यूटिव ईटिंग (अंतरदृष्टि आधारित भोजन) को अपनाया है, जो यह दिखाता है कि स्थायी फिटनेस केवल प्रतिबंध और इनाम के चक्र पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि खाने के साथ संतुलित संबंध बनाने के बारे में है।

कृष्णा कहती हैं: "मेरे लिए अब कोई चीट मील डे नहीं होता। जब मैंने अपनी फिटनेस जर्नी शुरू की थी, तब मैं यह नियम जरूर अपनाती थी कि हफ्ते में एक बार चीट मील लिया जाए। लेकिन अब जब मैं इस सफर में कुछ आगे बढ़ चुकी हूं, तो मुझे समझ में आया है कि ऐसा करना मुझे मेरी प्रगति से दो कदम पीछे ले जाता है। इसलिए मैं अब अपने पसंदीदा खाने को ही अपनी डाइट में शामिल कर लेती हूं। मैं इसे डाइट भी नहीं कहूंगी, क्योंकि मैं सच में डाइटिंग नहीं कर रही। मैं अब इंट्यूटिव ईटिंग कर रही हूं, और यह एक अभ्यास की तरह है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में अनुभव बढ़ता है, वैसे-वैसे आप भी इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इसलिए मेरे लिए, मैं अपने पसंदीदा भोजन को अपने खाने में शामिल करना बेहतर है ताकि मुझे कभी ओवर-ईटिंग की इच्छा न हो और फिर पछतावा महसूस न हो कि मैंने अपनी मेहनत पर पानी फेर दिया!"

कृष्णा का यह दृष्टिकोण पोषण के प्रति एक परिपक्व समझ को दर्शाता है, जो उस "या सब कुछ या कुछ नहीं" वाली मानसिकता से परे है, जो अक्सर फिटनेस बर्नआउट (थकावट) की वजह बनती है। यह तरीका न केवल उनके शरीर की जरूरतों के अनुसार उनके खाने को अनुकूल करता है, बल्कि चीट मील्स के पीछे की मानसिक जरूरत और भावनात्मक उथल-पुथल को भी समाप्त करता है। इस पद्धति से न केवल ओवर-ईटिंग और अपराध बोध का चक्र टूटता है, बल्कि फिटनेस को एक अस्थायी समाधान के बजाय एक स्थायी लाइफ स्टाइल विकल्प बनाता है।

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