अनु मलिक ने कैसे सीखा अपने टैलेंट को मार्केट में उतारना
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अनु मलिक अपने पिता सरदार मलिक को एक प्रतिभाशाली संगीतकार के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने कभी भी अपनी प्रतिभा को पूरी तरह से उजागर नहीं किया। वह एक प्रशिक्षित नर्तक थे और उन्होंने उदय शंकर की अकादमी में नृत्य सीखा, जहां गुरु दत्त उनके रूममेट थे। उन्होंने अपने शुरुआती करियर में गाने भी गाए और मुकेश उनके पसंदीदा थे।
एक बार, सरदार मलिक ने मुकेश के लिए सारंगा फिल्म का शीर्षक गीत लिखा। यह गीत एक अज्ञात अभिनेता सुदेश कुमार पर फिल्माया गया था, लेकिन मुकेश की शानदार आवाज ने इसे एक क्लासिक बना दिया। अनु मलिक का मानना है कि अगर यह गीत राज कपूर जैसे किसी बड़े स्टार पर फिल्माया गया होता, तो उनके पिता एक सुपरस्टार संगीतकार बन गए होते।
सरदार मलिक एक दयालु और उदार व्यक्ति थे। एक बार, जब वह आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे, तो उनकी पत्नी ने उन्हें एक उभरते हुए गीतकार से मिलने का सुझाव दिया। सरदार मलिक अपने बेटे अनु को साथ लेकर गए, लेकिन जब वे दरवाजे की घंटी बजाने वाले थे, तो उनके हाथ कांपने लगे। वह खुद को पेश करने में असमर्थ थे।
इस घटना ने अनु मलिक को सिखाया कि संगीतकार को खुद को बेचने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें यह भी एहसास हुआ कि उनके पिता ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा खुश रहने की कोशिश की। अनु मलिक अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, कड़वाहट को अपने जीवन पर हावी नहीं होने देते।