जब ओम पुरी वेषभूषा बदलने के बाद भी आवाज़ से पहचाने गए
अपने समय के मशहूर बॉलीवुड अभिनेता ओम पुरी अपनी शानदार भारी भरकम आवाज़ से भी पहचाने जाते थे। इसका एक उदाहरण तब सामने आया जब वे अपनी शादी के लिए कपड़े खरीदने भोपाल आए थे।
ओम पुरी की शादी 28 फरवरी 1990 को झालावाड़ में होने वाली थी। उन्होंने अपनी शादी के लिए भोपाल के चौक मार्केट से कपड़े खरीदने का फैसला किया। लेकिन उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए मंकी कैप, चश्मा और शॉल पहन लिया।
वे अपनी बहन और मां के साथ कपड़े की दुकान में गए। वे कपड़े देख रहे थे और रंग आदि पर चर्चा कर रहे थे। तभी दुकान के कोने में बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उनकी आवाज़ पहचान ली।
बुजुर्ग व्यक्ति ने पुरी साहब से कहा, "जनाब, आप ओम पुरी हैं न?"
ये सुनते ही पुरी साहब और उनकी बहन और मां चौंक गए। पुरी साहब ने कहा, "चाचा, आपको गलतफहमी हुई है। मैं ओम पुरी नहीं हूं।"
लेकिन बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, "आपने यह बोलकर और कन्फर्म कर दिया कि आप ओम पुरी ही हैं। मैंने अखबारों में पढ़ा कि आपकी 'अर्द्धसत्य' फिल्म ने पूरी दुनिया में हंगामा कर दिया है। उसको कालों वेरी अवार्ड मिला है। और आपको बेस्ट एक्टर के लिए नेशनल अवार्ड भी मिला है ना?"
ये सुनकर पुरी साहब ने अपना चश्मा और टोपी उतार दिए और बुजुर्ग व्यक्ति के पैर छूकर कहा, "आप महान हैं।"
बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, "आपकी वो फिल्म मुझे इतनी अच्छी लगी, आपकी आवाज मेरे कानों में बस गई और आप ही के नाम सुनकर मैंने आपकी दो और फिल्में मिर्च मसाला और अल्बर्ट पिंटू को गुस्सा क्यों आता है, देख ली।"
इस तरह पुरी साहब सिर्फ एक्टिंग से ही नहीं, अपनी आवाज़ से भी पहचाने जाते थे। उनकी आवाज़ में एक जादू था जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थी।