पिछले कई दिनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और कुछ दूसरे राज्य के किसानों का प्रदर्शन जारी है. ये किसान अध्यादेश के ज़रिए बनाए गए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
इन किसानों ने बीते आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था जिसे करीब दो दर्जन विपक्षी राजनीतिक पार्टियों और विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन मिला था.
इस प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई राउंड की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. किसान संगठनों के कुछ प्रतिनिधियों से गृहमंत्री अमित शाह की मुलाक़ात से भी कोई रास्ता नहीं निकला.
दिल्ली के बॉर्डर पर दिन रात बैठे किसान तीनों क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जबकि केंद्र सरकार क़ानून के कुछ विवादास्पद हिस्सों में संशोधन के लिए तैयार है. सरकार यह भी दावा कर रही है कि नए क़ानूनों से किसानों का कोई नकुसान नहीं होगा.
20 और 22 सितंबर, 2020 को भारत की संसद ने कृषि संबंधी तीन विधेयकों को पारित किया. 27 सितंबर को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिसके बाद ये तीनों क़ानून बन गए. इन क़ानूनों के प्रवाधानों के विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.